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हीरा कोयले की खदानों से निकलता है । घने अंधेरों के मध्य ही सूर्य का उदय होता है । कमल कीचड़ मे खिलता है। कांटो के मध्य ही गुलाब का पुष्प शोभित होता है । सीपियों मे मोती पायी जाती है। ठीक उसी प्रकार से जब पृथ्वी अहंकारी और स्वार्थी मनुष्यो की भीड़ से त्रस्त हो जाती है,तब महमानवो का उदय होता है ,जो अपने तेज से ,अपने त्याग ,करुणा व निःस्वार्थ सेवा जैसे महान विचारो से इस जगत का कल्याण करते हैं। इस धरा पर कुछ ऐसी महान आत्माओ का उदय हुआ है जिनहोने अपने विचारो ,कर्मो ,शिक्षाओ से इस जगत मे चहुओर व्याप्त कुरीतियो ,अंधविश्वासों ,पोंगापंथ का उन्मूलन किया और उनके स्थान पर सदविचार,त्याग ,करुणा ,दया जैसे महमानवीय गुणो का प्रचार किया। बुद्ध,नानक,जीसस, मोहम्मद शाहेब,मदर टेरेसा,स्वामी विवेकानंद जैसे महमानवो ने इस धरती पर अवतरित होकर इस धरती को गौरवान्वित किया। असत्य पर सत्य ,हिंसा पर अहिंसा ,युद्ध पर शांति,क्रोध पर प्रेम,की विजय का उद्घोष करते हुए ये महामानव इस धरा से विदा हुए। शोषित ,पीड़ित ,वंचित जन जिंका कोई सहारा न था ,जो सदियो से गुलामी ,अपमान ,दंश ,पीड़ा झेलते आए थे ,जिनहे समाज ने बहिस्कृत कर रखा था ,जिनकी गरीबी ,जिंका पीछड़ापन ,जिनके उपहास का कारण थी ,ऐसे दीन हीन उपेछित ,वंचित वर्गो को अपार करुणा के साथ गले लगाकर उनका उद्धार कर ,उन्हे समाज की मुख्य धारा मे जोड़कर ,इन महामानवो ने मानवता को एक नयी राह दिखाई। जाति भेद, नस्ल भेद ,छेत्र वाद जैसे अमानवीय बुराइयों के विरुद्ध हमे जागरूक कर पूरी मानवता को युगो युगो तक अपना ऋणी बना गए। स्वार्थ,अपना, पराया का भाव तो इनके अंदर लेश मात्र भी नहीं था । इंका जन्म ही लोक कल्याण ,समाज के सुधार व उत्थान के लिए हुआ था । ऐसे तेजोम्य ,दैवीय गुणो से युक्त महापुरशो कोटिशः प्रणाम जिनका यह पूरा विश्व ऋणी है।
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