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आतँकवाद के प्रति अपने नजरिए मेँ बदलाव लाये पाकिस्तान ।

अनुभूति
अनुभूति
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सन् 1947 मेँ भारत विरोध की नीँव पर खड़ा हुआ पाकिस्तान ,भारत को अस्थिर व कमजोर करने के प्रयास मेँ आतँकी समूहोँ को पोषित करता रहा है ।लगभग 67 वर्षोँ से भारत .पाकिस्तान प्रायोजित आतँकवाद का दँश झेल रहा है ।पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से भारत मेँ पाकिस्तान पोषित आतँकी सँगठनोँ द्वारा अनेकोँ बार भीड़ भाड़ वाले इलाकोँ मेँ बम विस्फोट ,अत्याधुनिक हथियारोँ से हमला करवाया जा चुका है ।सीमा पार से घुसपैठ ,मादक द्रव्योँ की तस्करी ,भारतीय अर्थव्यवस्था को चौपट करने के लिए नकली नोटोँ की खेप भेजना जैसी भारत विरोधी गतिविधियाँ पाकिस्तान की शह पर आतँकी सँगठनोँ द्वारा की जाती रही हैँ ।पाकिस्तान ने भारत को अँदर व बाहर से खोखला करने के लिए भारत सहित भारत के पड़ोसी राष्ट्रोँ मेँ भी आतँकी सँगठनोँ का व्यापक जाल फैला रक्खा था ।लेकिन पाकिस्तान को यह आभास नहीँ था कि जिन आतँकी सँगठनोँ को वह भारत को बर्बाद करने के लिए खाद पानी मुहैय्या करा रहा है वही एक दिन उसके लिए भस्मासुर साबित होँगे ।मजहब की रक्षा के नाम पर बने ये आतँकी सँगठन आज पूरी दुनियाँ के साथ साथ खुद पाकिस्तान के लिए भी खतरा बन चुके हैँ ।कल पेशावर मेँ तहरीक ए तालिबान के गुण्डोँ ने जिस तरह अबोध व मासूम बच्चोँ पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ बरसाई ,जिस निर्मम व अमानवीय तरीके से स्कूल मेँ लोगोँ को बँधक बनाया गया उससे यह साफ पता चलता है ये दहशतगर्द किसी धर्म को नहीँ मानते हैँ ।ये सिर्फ दहशतगर्दी और आतँकवाद के सहारे पूरी दुनियाँ पर अपना साम्राज्य कायम करना चाहते हैँ ।लेकिन धर्म की आड़ मेँ मानवता विरोधी कृत्योँ को अँजाम देने वाले इन नरपिशाचोँ का असली चेहरा अब पूरी दुनियाँ के सामने आ चुका है ।अब पाकिस्तान अपना भला चाहता है तो उसे इन आतँकी सँगठनोँ पर कठोर सैन्य कारवाई करनी चाहिए ।मजहब के नाम पर आतँकियोँ को प्रश्रय देने वालो,आतँकियोँ से सहानुभूति रखने वालोँ .का भी दमन किया जाना अब आवश्यक हो गया है नहीँ तो पेशावर जैसी घटनाए होती रहेँगी और अबोध बच्चे मरते रहेँगे ।इसळिए पाकिस्तान को आतँकवाद के प्रति अपनी नीति और नजरिए मेँ परिवर्तन लाना ही होगा ।अच्छे और बुरे आतँकवाद मेँ फर्क करने के बजाए आतँकीयोँ पर सीधी कारवाई करनी चाहिए ,क्योँकि आतँकवाद कभी अच्छा नहीँ होता और किसी भी प्रकार का आतँकवाद दुनियाँ के लिए खतरनाक है ।

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