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14 सितम्बर को आता है हिन्दी दिवस।फिर 14-28 सितम्बर के बीच हिँदी पखवाड़ा मनाया जाता है।हिँदी दिवस ,हिँदी सप्ताह,हिँदी पखवाड़ा का आयोजन देश -विदेश मेँ सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओँ द्वारा किया जाता है।हिँदी सम्मेलन,गोष्ठियाँ ,निबन्ध लेखन ,वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ ,काव्य पाठ आयोजित किये जाते हैँ।हिँदी के इतिहास,हिँदी का योगदान,हिँदी की उपलब्धियोँ ,हिँदी के साथ भेदभाव ,हिँदी की समस्याओँ पर जमकर चिँतन-मनन और चर्चा होती है।इस समय अवधि मेँ समाचार पत्रोँ .ब्लाँग और सोशल साइट्स पर जमकर लोग हिँदी के विषय मेँ लिखते हैँ। पुराने लिखे गये हिँदी ब्लाँग खँगाले जाते हैँ।अब प्रश्न ये उठता है कि क्या हिँदी पखवाड़ा मनाना औचित्यहीन है ?हिँदी पखवाड़े पर आयोजित गोष्ठियाँ ,सम्मलेन ,बकवास और अर्थहीन है?जब मातृभाषा पर चौतरफा तलवार लटकी हुई हो ।हिँदी एक षडयंत्र के तहत सरकारी और निजी संस्थानोँ से निष्काषित की जा चुकी है फिर एक महीने,15 दिन या एक दिन के लिए ही सही उन्हीँ संस्थानोँ मेँ जब हिँदी की वर्तमान स्थिति पर चर्चा होती है।कामकाज हिँदी मेँ होता है जो लोग हिँदी को महत्वहीन और अकार्यालयीय भाषा समझते हैँ ,वे भी हिँदी भाषा के महत्व को सुनते समझते और जानते है।फिर यह दिवस औचित्यहीन कैसे हो सकता है? पखवाड़े के माध्यम से हिँदी स्वयं ही अपने दर्द को बयाँ करती है।वर्तमान के अपने सँकट काल ,भेदभाव,पीड़ा को व्यक्त करती है।हमेँ अपनी समस्या,समस्या से निजात का मार्ग भी बताती है।जिससे लोगोँ मेँ जागरुकता फैलती है।हम अपनी मातृभाषा के पतन के कारणोँ को जानकर उसे दूर करने का प्रयत्न करते हैँ।इन आयोजनोँ से हमेँ मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे हम हिँदी के लिए कार्य करते हैँ।
हिँदी पखवाड़े पर जागरण जँक्शन द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता मेँ हिँदी भाषा के बारे मेँ हजारोँ लोगोँ ने अपने विचार व्यक्त किए है।हिँदी की दुर्दशा,हिँदी का गौरवशाली इतिहास ,हिँदी को सम्मानजनक भाषा के रुप मे लाने के लिए प्रतिभागियोँ ने हृदय से सुझाव दिए है और हिँदी भाषा के कमजोर होते अस्तित्व के प्रति गहरी चिँता व्यक्त की है जिसके चलते यह प्रतियोगिता एक आन्दोलन का रुप ले चुकी है।लोगोँ के अन्दर हिँदी भाषा के लिए कार्य करने और हिँदी को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए एक तड़प दिखी है,जो पखवाड़ा और हिँदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रमोँ द्वारा लोगोँ के हृदय मेँ हिँदी के प्रति प्रेम और अनुराग का भाव पैदा हुआ है।हिँदी भाषा को सम्मानजनक भाषा के रुप मेँ प्रतिष्ठित करने के लिए इसी दर्द,पीड़ा ,प्यार और गर्वभाव की जरुरत है ।फिर पखवाड़ा औचित्यहीन नही बल्कि औचित्यपूर्ण है।
दूसरी ओर वर्तमान समय मेँ बच्चोँ को बचपन से ही ‘ए फाँर एप्पल’ रटाया जा रहा है।हिँदी की नुक्ताचीनी,कमियाँ निकाली जा रहीँ है।हिँदी को आऊटडेटेड ,अक्षम और अनुपयोगी भाषा के रुप मेँ दर्शा कर ,माँ बाप ,और शिक्षकोँ द्वारा बच्चोँ के दिमाग मेँ हिँदी की नकारात्मक छवि चित्रित की जा रही है,फिर बच्चा हिँदी को क्योँ अपनाये?हिँदी की महत्ता को कैसे जाने?फिर उसकी नजर मेँ हिँदी पढ़ना व्यर्थ और अनुपयोगी लगने लगता है।
फिर इन्हीँ सम्मेलनोँ,गोष्ठियोँ,हिन्दी कार्यक्रमोँ मेँ उसे हिँदी भाषा के गौरवशाली इतिहास के बारे मेँ सुनकर उसकी नीँद खुलती है।अपनी मातृभाषा के शब्दोँ की पावनता को जान पाता है जिसके एक एक शब्दोँ मेँ हमारा प्राचीन इतिहास ,हमारी उन्नत सभ्यता सँस्कृति, हमारे पुरखोँ के विचार ,उनके वाणी की गूँज छिपी हुई है, फिर उसका भ्रम टूटता है और वह मातृभाषा हिँदी पर गर्व करने लगता है क्योँकि आज तक तो उसे ये बताया गया था कि हिँदी पढ़ने बोलने से कोई फायदा नहीँ है
हिँदी पढ़कर तुम कुछ नहीँ कर सकते परन्तु पखवाड़ोँ पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमोँ से जब उसे यह पता चलता है कि हिँदीभाषियोँ के सुख-समृद्दि और सम्पन्नता का राज जानने के लिए अँग्रेजी भाषा बोलने वाले लोग तमाम मुश्किलोँ से जूझते हुए सात समुंदर पार करके भारत चले आये।फिर वह समझ पाता है कि हिँदी भाषा के विरोध मेँ कहे गये शब्द औचित्यहीन है और हिँदी अक्षम और कमजोर भाषा न होकर विश्व की गौरवशाली,महान और उन्नत भाषा है।अत: वर्ष मेँ मनाये जाने वाले इन हिँदी के उत्सवोँ का विशेष महत्व है जो हिँदी का प्रचार प्रसार करने के साथ साथ हिँदी भाषा के बारे मेँ फैली हुई भ्राँतियोँ को तोड़ रहे हैँ,लोगोँ के हृदय मेँ हिँदी के प्रति प्रेम का अलख जगा रहे हैँ ।सितम्बर महीने मेँ जब वातावरण हिँदीमय हो जाता है हिँदी के गुँजन से कण-कण ओत प्रोत होता है ।मेरे विचार से इन उत्सवोँ का हिँदी के विकास मेँ काफी योगदान मेँ है।देश के बाहर मनाये जाने वाले पखवाड़े और हिँदी दिवस से विदेशीयोँ मेँ भी हिँदी सीखने और जानने की ललक पैदा हुई है वहीँ देश के अंदर भी सरकारी और निजी दफ्तरोँ मेँ भी माहौल कुछ कुछ बदला है अत: हमेँ प्रत्येक वर्ष मनाये जाने वाले पखवाड़े मेँ हिँदी के लिए कार्य करने की एक योजना बनानी चाहिए और अगले वर्ष उसका आकलन करना चाहिए और हिँदी पखवाड़ा ,हिँदी दिवस देश के प्रत्येक हिस्सोँ मेँ मनाना चाहिए।
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