अनुभूति
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मोहब्बत न थी तेरे दिल मेँ ,मेरे खातिर
वो तो बस तेरा दिखावा था
तेरी वो शोख अदायेँ
तेरी आँखोँ के इशारे
कातिलाना मुस्कान तेरी,
सब एक छलावा था
मै तो समझ गया था,वर्षो पहले
पर ये कमबख्त ,नादान दिल
ही उलझ के फँस गया तेरे जुल्फोँ के साये मेँ
जिसकी फितरत ही है फँस जाना, इसे तो फँस जाना था
मैने सौ बार समझाया था, बतायी थी तेरी हकीकत
पर ये तेरे चाँद से चेहरे और चंचल निगाहोँ का दीवाना था
मासूम दिल फँस ही गया तेरे नाजोँ नखरोँ मेँ
जिसकी फितरत ही है फँस जाना ,इसे तो फँस जाना था
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